ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ सरे जल्द ही गुजरात के गिफ्ट सिटी में अपना कैंपस खोलने जा रही है। यह पहल अनुभवी ट्रांसनेशनल एजुकेशन ग्रुप, जीयूएस ग्लोबल सर्विसेज, के सहयोग से की जा रही है। अधिकारियों ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी। यूनिवर्सिटी ऑफ सरे, गिफ्ट सिटी में कैंपस खोलने वाली ब्रिटेन की तीसरी यूनिवर्सिटी होगी। इससे पहले क्वीनस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट और कोवेंट्री यूनिवर्सिटी को गुजरात के इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (IFSCA) से मंजूरी मिल चुकी है। गिफ्ट सिटी में पहले से ही दो ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटीज – डीकन और वोलोंगोंग – अपने कैंपस संचालित कर रही हैं। गोवा में मंगलवार को आयोजित QS इंडिया समिट-2025 के दौरान यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के प्रेसिडेंट और वाइस चांसलर प्रो. जीक्यू मैक्स लू और ग्लोबल यूनिवर्सिटी सिस्टम्स (GUS) के एशिया और ऑस्ट्रेलिया रीजन के सीईओ डॉ. शरद मेहरा ने इस साझेदारी की घोषणा की।
ब्रिटिश शिक्षा का उदाहरण बनेगा नया कैंपस
मैक्स लू ने कहा, “गिफ्ट सिटी में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे का कैंपस ब्रिटिश शिक्षा की उत्कृष्टता और प्रभाव का उदाहरण बनेगा और यह एक अधिक वैश्वीकृत दुनिया में ट्रांसनेशनल एजुकेशन को बढ़ावा देगा।” उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि हम गिफ्ट सिटी के इस सफर का हिस्सा बन रहे हैं, जहां भारत की वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में ताकत और यूनिवर्सिटी ऑफ सरे की व्यवसाय, वित्त और कंप्यूटर साइंस के शैक्षणिक और शिक्षण कौशल का मेल होगा।” IFSCA के साथ आगे की बातचीत के लिए मैक्स लू और GUS ग्लोबल सर्विसेज के प्रतिनिधि शुक्रवार को गिफ्ट सिटी का दौरा करेंगे।
शैक्षणिक और रणनीतिक साझेदारी
गिफ्ट सिटी में बनने वाला यह कैंपस यूनिवर्सिटी ऑफ सरे की विशेषज्ञता को GUS ग्लोबल सर्विसेज इंडिया की क्षमताओं के साथ जोड़कर तैयार किया जाएगा। इसमें व्यवसाय, अंतरराष्ट्रीय वित्त, कंप्यूटर साइंस, साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और शोध पर फोकस होगा। सभी शैक्षणिक कार्यक्रम और शिक्षा की गुणवत्ता यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के शिक्षकों द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। वहीं, भारत में प्रवेश रणनीति, छात्रों के नामांकन, कैंपस की स्थापना और संचालन प्रबंधन जैसे सहायक सेवाएं GUS ग्लोबल सर्विसेज संभालेगा।
भारतीय छात्रों को मिलेगा वैश्विक अनुभव
डॉ. शरद मेहरा ने कहा, “यह पहल भारत में विश्वस्तरीय शिक्षा और वैश्विक सीखने के अनुभवों का विस्तार करने की दिशा में एक कदम है। भारतीय छात्रों को अब बिना देश छोड़े बदलती हुई शिक्षा का लाभ मिलेगा।” उन्होंने आगे कहा, “यह साझेदारी भारत के उच्च शिक्षा लक्ष्यों के अनुरूप है, जिसमें वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार, स्थानीय स्तर पर विश्वस्तरीय शिक्षा की पेशकश और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी – 2020 के अंतरराष्ट्रीयकरण के लक्ष्य को मजबूत करना शामिल है।”