यमुना के 33 में से 22 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता फेल, केंद्र ने पैनल को दी जानकारी

केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि 2024 में यमुना नदी पर निगरानी रखी जा रही 33 जगहों में से 22 स्थान सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के तय मानकों पर खरे नहीं उतर पाए हैं। मंत्रालय ने एक पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए संसद की स्थायी समिति को जानकारी दी कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सभी जगहें — दिल्ली में सात और यूपी में 12 — “आउटडोर नहाने के लिए तय किए गए पानी के प्राथमिक गुणवत्ता मानकों” पर फेल हो गईं, जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में यमुना के चारों-चारों स्थान इन मानकों पर पास रहे, ऐसा सूत्रों ने बताया। हरियाणा की बात करें तो वहां यमुना नदी के छह स्थानों में से तीन ने मानकों को पूरा किया, जबकि तीन जगहें फेल हो गईं, रिपोर्ट में यह भी जोड़ा गया। CPCB का नेशनल वॉटर मॉनिटरिंग प्रोग्राम (NWMP) पानी की गुणवत्ता को घुलित ऑक्सीजन (DO), बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), पीएच स्तर और फीकल कॉलिफॉर्म जैसे मानकों के आधार पर जांचता है।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में पर्याप्त सीवेज ट्रीटमेंट न होना और कई नालों का बिना ट्रीटमेंट के नदी में गिरना, जो कि यमुना को सबसे ज्यादा गंदा करने वाले कारणों में हैं, पानी के खराब होने की बड़ी वजहें हैं। यमुना, गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। मंत्रालय ने अपनी प्रेजेंटेशन में बताया कि फरवरी 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में रोजाना पैदा होने वाले 3,600 एमएलडी (मेगालीटर प्रतिदिन) गंदे पानी में से 791 एमएलडी बिना साफ हुए ही रह जाता है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के 22 बड़े नालों में से अभी तक सिर्फ नौ को ही ट्रीट किया गया है, जबकि दो नालों का आंशिक ट्रीटमेंट हुआ है। लेकिन तुगलकाबाद, अबुल फज़ल, आईएसबीटी, सोनिया विहार, कैलाश नगर, शास्त्री पार्क, बरापुला, महारानी बाग और जैतपुर जैसे इलाकों के नौ नाले अभी भी बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे यमुना में गिर रहे हैं। वहीं, नजफगढ़ और शाहदरा जैसे दो बड़े नालों को तकनीकी कारणों से फिलहाल टैप कर पाना संभव नहीं है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने जनवरी 2023 में यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जो इस दिशा में काम कर रही है।