
दिल्ली के मुस्लिम वोटरों के लिए 5 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कई उलझनें हैं। वे किसे वोट दें – कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), या AIMIM? पिछले चुनावों में जब मुस्लिम वोट एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ जाते थे, इस बार स्थिति कुछ अलग नजर आ रही है। दिल्ली में 1.55 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम समुदाय का अनुमानित हिस्सा 15-18 प्रतिशत है। ये मुस्लिम वोट दिल्ली के सात निर्वाचन क्षेत्रों में काफी प्रभाव डाल सकते हैं। हालांकि, अब इन मतदाताओं के मन में कई सवाल हैं। मुरतजा नय्यर, जो एक आईटी स्टार्टअप में काम करते हैं, बताते हैं कि इस बार उन्हें सही पार्टी चुनने में उलझन हो रही है। उनका दिल कांग्रेस के साथ है, लेकिन दिमाग कहता है कि AAP ही बीजेपी को रोक सकता है। दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में तीन प्रकार की राय बन रही है। एक राय है कि बीजेपी को हर हाल में रोकना जरूरी है, और इसके लिए केवल AAP ही सक्षम है। दूसरी राय यह है कि 2020 के दंगों के दौरान AAP ने मुस्लिम समुदाय के साथ गद्दारी की थी, और इसलिए कांग्रेस को समर्थन देना चाहिए। तीसरी राय में कुछ लोग AIMIM को समर्थन देने की बात कर रहे हैं, क्योंकि पार्टी कम्युनिटी के मुद्दे उठाती है और मुस्लिम नेताओं को टिकट देती है।
इन जटिल चुनावी सवालों के बीच, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का प्रचार भी मुस्लिम इलाकों में प्रभावी रहा है। कई मुस्लिम वोटरों का मानना है कि बीजेपी को हराने के लिए AAP ही सही विकल्प हो सकती है। हालांकि, सभी मतदाता इस बात पर सहमत नहीं हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि हमें अपनी समस्याओं पर ध्यान देने वाली पार्टी को वोट देना चाहिए, न कि सिर्फ बीजेपी को हराने के लिए वोट देना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मुस्लिम मतदाता पेशेवर तरीके से वोट देंगे, और यह चुनाव दिल्ली के मुस्लिम इलाकों में सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अब, चुनावी दांव के साथ, मुस्लिम मतदाता 5 फरवरी को अपनी मर्जी से फैसला करेंगे, और उनकी राय 8 फरवरी को मतगणना के दिन साफ हो जाएगी।