
विपक्ष का मोर्चा: वक्फ संशोधन बिल पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति
लोकसभा में बुधवार को पेश होने वाले वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. पूरी ताकत से मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा होने जा रहा है। विपक्ष की कोशिश है कि इस बिल पर बीजेपी की सहयोगी पार्टियों टीडीपी, जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) को बेनकाब किया जाए, जो खुद को मुस्लिम हितैषी बताती रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन के सभी दलों ने अपने सांसदों को मतदान के समय सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है, लेकिन उन्हें कार्यवाही में बाधा न डालने की हिदायत दी गई है।
पहली बार एकजुट हुआ विपक्ष
लगातार चुनावी हार के बाद कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बीच तालमेल कमजोर हो गया था। लेकिन, लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार सभी दल एकजुट नजर आए। अगस्त 2024 में मानसून सत्र के बाद से यह पहला मौका था जब I.N.D.I.A. गठबंधन के सभी प्रमुख नेता एक ही मंच पर बैठे। तृणमूल कांग्रेस ने भी पिछले साल नवंबर-दिसंबर के शीतकालीन सत्र के बाद पहली बार बैठक में हिस्सा लिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में बिल का जोरदार विरोध करने और सदन में मतदान की मांग उठाने पर सहमति बनी ताकि टीडीपी, जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) का रुख उजागर किया जा सके।
बिल पर एनडीए में खलबली
भले ही जेडीयू और टीडीपी ने पहले इस बिल पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अब इन दलों ने अपने सांसदों को इसके समर्थन में वोट देने के लिए व्हिप जारी किया है। इस बीच, गृहमंत्री अमित शाह ने जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं राजीव रंजन ‘ललन’ सिंह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा से मुलाकात भी की, जिससे इस मुद्दे पर एनडीए के भीतर हलचल तेज हो गई है।
धर्म नहीं, संविधान का मुद्दा बनाएगा विपक्ष
सूत्रों के मुताबिक, I.N.D.I.A. गठबंधन इस बिल को सिर्फ मुस्लिम समुदाय का मुद्दा नहीं बनाएगा, बल्कि इसे संविधान, धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सवाल बनाएगा। राहुल गांधी ने बैठक में कहा कि “यह बिल संविधान के खिलाफ है और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। अगर आज ये मुसलमानों के खिलाफ है, तो कल किसी और के खिलाफ भी हो सकता है।”
सांसदों को मजबूत पक्ष रखने के निर्देश
गठबंधन के नेताओं ने इस मुद्दे पर बोलने वाले सांसदों को साफ हिदायत दी है कि वे अपनी बात मजबूती से रखें और किसी भी तरह की उकसावे वाली हरकतों में न फंसें। सीपीआई (एमएल) के सांसद राजाराम ने बैठक में कहा कि सरकार ने यह बिल ऐसे समय में पेश किया है जब अमेरिका भारत पर प्रतिस्परधात्मक शुल्क (reciprocal tariff) लागू करने जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि विपक्ष को इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाना चाहिए।
केरल से उठी असहमति की आवाज
बैठक के दौरान केरल कांग्रेस के फ्रांसिस जॉर्ज और केरल कांग्रेस (मणि) के जोस के मणि ने कुछ आपत्तियां भी जताईं। उन्होंने कहा कि केरल में मुन्नांबम विवाद को लेकर राज्य के कैथोलिक बिशप काउंसिल ने बिल के समर्थन में वोट देने की अपील की है। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह मामला सीधे तौर पर इस बिल से जुड़ा नहीं है और बीजेपी इसे ध्यान भटकाने की रणनीति के तहत इस्तेमाल कर रही है।
राज्यसभा में भी कड़ा मुकाबला
भले ही लोकसभा में बीजेपी नीत एनडीए के पास बहुमत हो, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को ताकत दिखाने के अवसर के रूप में देख रहा है। कई क्षेत्रीय दल जैसे बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और बीआरएस भी विपक्ष के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। अगर मतदान होता है तो लोकसभा में विपक्ष के पास 247 वोट हो सकते हैं, जिसमें 236 वोट I.N.D.I.A. गठबंधन के होंगे। वहीं, एनडीए को कुल 294 वोट मिलने की संभावना है। राज्यसभा में, एनडीए को 125 से 129 वोट मिलने की उम्मीद है, जबकि विपक्ष के पास बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीएसपी के समर्थन से 107 वोट हो सकते हैं।
विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन
हालांकि, एनडीए इस बिल को पारित कराने में सक्षम हो सकता है, लेकिन विपक्ष इसे मोदी सरकार के खिलाफ “शक्ति प्रदर्शन” के रूप में देख रहा है। विपक्ष की रणनीति साफ है—बिल पर चर्चा को मजबूती से उठाना, एनडीए के मुस्लिम हितैषी होने के दावों को चुनौती देना और बीजेपी पर दबाव बनाना। आगे देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष की यह रणनीति क्या असर दिखाती है और बीजेपी इस चुनौती का कैसे जवाब देती है।