भारत-पाक संघर्ष पर ब्रिटेन का रुख: शांति बनाए रखने को तैयार, आतंकवाद के खिलाफ सख्त सहयोग का वादा

भारत-पाकिस्तान तनाव: ब्रिटेन की शांति अपील
यह लेख भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव और ब्रिटेन की शांति स्थापित करने की कोशिशों पर केंद्रित है।
ब्रिटेन का शांति कायम करने का प्रयास
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने संसद में कहा है कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति स्थापित करने में मदद करने को तैयार है। वह दोनों देशों के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं और बातचीत जारी रखने का आग्रह कर रहे हैं। खासकर सिंधु जल संधि जैसे समझौतों को लेकर उन्होंने उम्मीद जताई है कि दोनों देश इन पर कायम रहेंगे। ब्रिटेन का मानना है कि सैन्य तनाव से आगे बढ़कर शांतिपूर्ण माहौल बनाया जा सकता है। लैमी ने यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है और इसे बातचीत से ही सुलझाया जाना चाहिए। इसमें कश्मीरियों की राय भी बहुत मायने रखती है।
आतंकवाद से लड़ने की ज़रूरत
हाल ही में हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा करते हुए, लैमी ने कहा कि सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई से काम नहीं चलेगा, बल्कि वैश्विक सहयोग से आतंकवाद की जड़ों को खत्म करना होगा। ब्रिटेन अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है और चाहता है कि भारत और पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ़ साथ मिलकर लड़ें। उनका मानना है कि जब तक आतंकवाद का खात्मा नहीं होगा, तब तक शांति स्थापित नहीं हो पाएगी। ब्रिटेन की विपक्षी नेता प्रीति पटेल ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनों पर चिंता जताई और पाकिस्तान से आतंकवाद का खात्मा करने की गारंटी मांगी।
ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पर तनाव
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की। चार दिन तक दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी रही, लेकिन अंत में दोनों देशों ने आपसी सहमति से संघर्ष विराम कर दिया। यह फैसला एक बड़े युद्ध को टालने में कामयाब रहा और क्षेत्र में अस्थायी शांति की उम्मीद जगी।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता
लैमी ने कहा कि कुछ बड़े देश, जिनके भारत और पाकिस्तान दोनों से अच्छे संबंध हैं, इस मामले में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं। ब्रिटेन अमेरिका, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के साथ संपर्क में है और मानता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और मदद से दोनों देशों के बीच भरोसा का माहौल बन सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह तभी संभव होगा जब भारत और पाकिस्तान खुद इसके लिए तैयार हों।