
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया हमेशा से विविधताओं से भरी रही है, लेकिन पहले इस विविधता को उपनिवेशवाद और ताकतवर देशों के दबदबे ने दबा दिया था। उन्होंने कहा कि आज जब पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक सोच को बढ़ावा देने की बात हो रही है, तो ऐसे वक्त में हमारी परंपराओं, विरासतों और सोच को आवाज़ देना बेहद ज़रूरी है। वे यहां वर्ल्ड ऑडियो विज़ुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) के तहत आयोजित ग्लोबल मीडिया डायलॉग में बोल रहे थे। इस मौके पर उनके साथ सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे। जयशंकर ने रचनात्मकता को मज़बूती देने के लिए प्रतिभाओं के एक जगह से दूसरी जगह आसानी से आने-जाने (मोबिलिटी) की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। बढ़ती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मौजूदगी के बीच जयशंकर ने आगाह किया कि नई तकनीकों का बिना ज़िम्मेदारी इस्तेमाल एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि कंटेंट में भेदभाव कम करना, उसे और लोकतांत्रिक बनाना और उसमें नैतिकता को प्राथमिकता देना – ये सब बातें अब चर्चा का अहम हिस्सा बन चुकी हैं।
उन्होंने कहा, “हकीकत ये है कि ये दुनिया असल में विविधताओं से भरी हुई है। लेकिन पहले के दौर में, खासतौर पर उपनिवेशवाद और ताकतवर देशों की पकड़ की वजह से, इस विविधता को दबाया गया।” करीब 60 देशों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “आज जब हम दुनिया की व्यवस्था को ज़्यादा लोकतांत्रिक बनाने की ओर बढ़ रहे हैं, तो ये काफी नहीं है कि हम सिर्फ अपनी राजनीतिक या आर्थिक आज़ादी की बात करें। उतना ही ज़रूरी है कि हम अपनी परंपराओं, अपनी विरासत, अपनी सोच, अपने तौर-तरीकों और अपनी रचनात्मकता को भी खुलकर सामने लाएं।” जयशंकर ने कहा कि इस दुनिया में अलग-अलग आवाजें हैं, हर किसी का अनुभव अलग है और हर किसी की सच्चाई भी अलग हो सकती है। और हर एक को अपनी बात कहने का पूरा हक है, और हमें इसे आसान बनाना चाहिए कि वो खुलकर बोल सकें।