नेशनल हेराल्ड को बचाने के लिए कांग्रेस ने अपनाया कर्ज को हिस्सेदारी में बदलने वाला फॉर्मूला: पवन खेड़ा

AICC के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस ने ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार को बचाने के लिए कर्ज को हिस्सेदारी में बदलने का तरीका अपनाया था, जो आज़ादी की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण प्रतीक रहा है। उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कहा, “जैसे ब्रिटिश सरकार ने उस समय ‘नेशनल हेराल्ड’ जैसे आज़ादी की आवाज़ उठाने वाले मीडिया को दबाने की कोशिश की थी, वैसे ही आज बीजेपी उस विरासत को मिटाने की कोशिश कर रही है।” खेड़ा ने यह भी कहा कि कांग्रेस कभी भी आज़ादी के नायकों की इस ऐतिहासिक विरासत को खत्म नहीं होने देगी। नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कई अन्य नेताओं को चार्जशीट में नामित किए जाने के बाद कांग्रेस देश के विभिन्न शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है। खबरों के अनुसार, ED ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेताओं ने एक साजिश के तहत अपनी प्राइवेट कंपनी ‘यंग इंडियन’ को केवल 50 लाख रुपये में AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों का 99% हिस्सा ट्रांसफर करवा लिया, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी के सबसे अधिक शेयर हैं। हालांकि, खेड़ा ने स्पष्ट किया कि ‘यंग इंडियन’ ने AJL को अपने नियंत्रण में नहीं लिया है। AJL आज भी अपनी सभी संपत्तियों, अखबार और कामकाज को खुद ही संभालता है।
खेड़ा ने बताया कि यंग इंडियन केवल AJL का शेयरहोल्डर है और यह तब हुआ जब AJL के सभी शेयरहोल्डर्स ने मिलकर कर्ज को शेयर में बदलने का फैसला सर्वसम्मति से लिया था। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा और स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडिस जैसे शेयरहोल्डर्स ने इससे कभी भी एक पैसा मुनाफा, वेतन या शेयर बेचकर नहीं कमाया। खेड़ा ने कहा कि AJL की सारी आमदनी – चाहे वो किराया हो या प्रॉपर्टी की कमाई – सब AJL की है, न कि यंग इंडियन या उसके शेयरधारकों की। यह पैसा AJL के अखबार और मीडिया के संचालन में इस्तेमाल हो रहा है, जैसा कि कंपनी के नियमों में तय किया गया है। उन्होंने कहा, “इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने AJL की संपत्तियों की कीमत 413 करोड़ रुपये बताई है, ना कि 5,000 करोड़ रुपये जैसी झूठी बातें फैलाई जा रही हैं। इन छह संपत्तियों में से पाँच लीज़ पर हैं और एक लखनऊ वाली फ्रीहोल्ड है। इनका कोई सौदा नहीं हुआ है, सब सिर्फ ‘नेशनल हेराल्ड’ के काम में ही इस्तेमाल होती हैं।” खेड़ा ने कहा, “नेहरू जी का ‘नेशनल हेराल्ड’ से ऐसा जुड़ाव था कि उन्होंने कहा था – मैं अपना घर ‘आनंद भवन’ बेच दूँगा लेकिन अखबार बंद नहीं होने दूँगा।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने AJL को 90 करोड़ रुपये का जो कर्ज दिया था, वो ‘नेशनल हेराल्ड’ को बचाने के लिए दिया गया था, क्योंकि यह आज़ादी की लड़ाई की पहचान रहा है। “कर्ज को शेयर में बदलना एक सफल तरीका होता है डूबती कंपनियों को फिर से खड़ा करने का, और कांग्रेस ने भी अखबार को बचाने के लिए यही किया,” खेड़ा बोले।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी सच्चाई से डरते हैं। “ED ने हमारे नेताओं पर चार्जशीट फाइल करने में पूरे 365 दिन क्यों लगा दिए? 2012 में चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेताओं पर की गई शिकायत को खारिज कर दिया था। फिर अगस्त 2015 में यह मामला ED को भेजा गया, लेकिन एजेंसी ने इसे बंद कर दिया था। लेकिन सितंबर 2015 में मोदी सरकार ने ED के डायरेक्टर राजन काटोच को हटा दिया, जो कि साफ संकेत है कि बदले की राजनीति हो रही थी।” खेड़ा ने आरोप लगाया कि 2021 तक आते-आते ED बीजेपी की ‘पॉलिटिकल वसूली मशीन’ बन चुकी थी। “जब सुब्रमण्यम स्वामी मोदी जी और अमित शाह के खिलाफ बोलने लगे, तो सरकार ने खुद ED से केस दर्ज करवा दिया। 2015 से जांच चल रही थी, लेकिन मोदी सरकार ने चार्जशीट फाइल करने के लिए आखिरी तारीख यानी 9 अप्रैल 2025 तक इंतज़ार किया। अगर उनके पास कोई ठोस सबूत होता, तो इतने साल तक क्यों रुकते? आज तक इस चार्जशीट पर कोर्ट ने कोई सुनवाई शुरू नहीं की है और ना ही किसी नेता को समन भेजा गया है।” खेड़ा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड का यह मामला असल में बदले की भावना से उठाया गया है, ताकि कांग्रेस को दबाया जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने ED को विपक्षी नेताओं को डराने और दबाने का हथियार बना लिया है।