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दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत कम करने की हो रही साजिश: खड़गे

खड़गे का केंद्र पर हमला, कहा- जनसंख्या आधारित सीमांकन से दक्षिण भारत के साथ अन्याय

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि यदि लोकसभा सीटों के परिसीमन (सीमांकन) की प्रक्रिया जनसंख्या के आधार पर होती है, तो यह दक्षिणी राज्यों के लिए अन्याय होगा, क्योंकि इससे उनकी संसदीय सीटें घट सकती हैं। उन्होंने लोगों से इस “अन्याय” के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। पूर्व मंत्री के.एच. पाटिल के शताब्दी समारोह में बोलते हुए खड़गे ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और शिक्षा के प्रति सरकार की कथित उदासीनता और शैक्षणिक संस्थानों में बड़ी संख्या में खाली पदों को लेकर चिंता जताई।

“सहकारी संघवाद” पर सवाल

खड़गे ने कहा, “केंद्र सरकार सहकारी संघवाद (कोऑपरेटिव फेडरलिज्म) की बात करती है, लेकिन अगर ऐसा होता, तो राज्यों को उनका हक क्यों नहीं मिल रहा? क्या कर्नाटक को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) से उतना फंड मिल रहा है जितना मिलना चाहिए? यह 58% तक घटा दिया गया है।” उन्होंने कर्नाटक के लोगों से अपील करते हुए कहा कि जब बात राज्य के विकास की हो, तो सभी को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए।

“दक्षिण भारत की सीटें घटाने की योजना”

खड़गे ने कहा कि “जनसंख्या के आधार पर परिसीमन की योजना बनाई जा रही है, जिससे दक्षिण भारत में लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या कम करने की कोशिश की जा रही है।” उन्होंने दावा किया कि उत्तर भारतीय राज्यों में प्रतिनिधित्व 30% तक बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा, “ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या होता है। लेकिन अगर ऐसा हुआ, तो यह सरासर अन्याय होगा और हमें इसके खिलाफ एकजुट होना होगा।”

शिक्षा क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर विभिन्न संस्थानों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया और कहा कि शिक्षा क्षेत्र को वह महत्व नहीं मिल रहा, जिसका वह हकदार है। उन्होंने कहा, “शिक्षा क्षेत्र के लिए मिलने वाले केंद्रीय फंड में कटौती की जा रही है। जिन पदों पर भर्तियां होनी चाहिए, उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय और विश्वविद्यालयों में 50% पद खाली पड़े हैं।” खड़गे ने सवाल उठाया, “अगर केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय विद्यालयों में आधे पद खाली पड़े रहेंगे, तो हमारे बच्चे कैसे पढ़ेंगे और आगे बढ़ेंगे?”

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