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CPI(M) की बदली सोच: केरल में सरकारी उपक्रमों में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री

केरल में CPI(M) के नीतियों में बड़ा बदलाव: सरकारी उपक्रमों में निजी निवेश और सेस लगाने पर विचार

केरल में जारी CPI(M) राज्य सम्मेलन में पार्टी की विकास नीतियों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पार्टी अब राज्य सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में निजी निवेश को बढ़ावा देने और वित्तीय संकट से निपटने के लिए सेस (अतिरिक्त कर) लगाने जैसे कदमों पर विचार कर रही है। यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब पार्टी की संगठनात्मक रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि केरल में CPI(M) को पश्चिम बंगाल की तरह मुश्किल हालात का सामना नहीं करना चाहिए।

सरकारी उपक्रमों में निजी निवेश पर खुलापन

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल के विकास से जुड़ा एक दृष्टि पत्र पेश किया, जिसमें राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में निजी निवेश को बढ़ावा देने की वकालत की गई। CPI(M) के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इसका मकसद बीमार PSU को सुधारना और उनकी दक्षता बढ़ाना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निजी भागीदारी केवल राज्य और जनता के हितों की सुरक्षा के तहत ही होगी। दिलचस्प बात यह है कि अब तक CPI(M) केंद्र सरकार के PSU के विनिवेश (Disinvestment) के फैसले का खुलकर विरोध करती रही है।

वित्तीय संकट से निपटने के लिए सेस लगाने की योजना

CPI(M) सरकार की नई नीति में लोगों की आय के आधार पर सरकारी सेवाओं पर सेस और यूजर फीस लगाने की संभावना भी शामिल है। एम.वी. गोविंदन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा केरल के बकाया फंड को रोके जाने के कारण राज्य को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में विकास योजनाओं के लिए नए फंड जुटाने के विकल्पों पर विचार करना जरूरी हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सेस लगाने का फैसला पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही लिया जाएगा।

निजी विश्वविद्यालयों की मंजूरी ने खड़े किए सवाल

हाल ही में CPI(M) सरकार ने राज्य में निजी विश्वविद्यालयों को मंजूरी देने का फैसला किया, जिससे कई लोगों ने हैरानी जताई है। पार्टी ने पहले कांग्रेस सरकार के इसी तरह के प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया था, लेकिन अब वही नीति अपनाने पर पार्टी की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।

पश्चिम बंगाल से सबक लेने की चेतावनी

पार्टी की कार्यकारी रिपोर्ट में इस बात को लेकर भी चिंता जताई गई है कि केरल में CPI(M) को वही स्थिति न झेलनी पड़े जो पश्चिम बंगाल में देखने को मिली थी। रिपोर्ट में कहा गया कि लगातार चुनावी जीत के बाद पार्टी को वहां भारी नुकसान हुआ। अब जब CPI(M) केरल में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी का लक्ष्य बना रही है, तो उसे लोगों से बेहतर जुड़ाव बनाए रखना होगा। पार्टी चाहती है कि जनता के बीच यह धारणा न बने कि CPI(M) सिर्फ सत्ता का केंद्र बन गई है। इसलिए, इस बार पार्टी नीतियों में लचीलापन अपनाने और विकास के लिए नए रास्ते तलाशने की कोशिश कर रही है।

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