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दिल्ली हाईकोर्ट ने AIMIM के खिलाफ याचिका को किया खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: AIMIM के खिलाफ अपील खारिज, पार्टी की मान्यता बरकरार

दिल्ली हाईकोर्ट ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की मान्यता रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका चुनाव आयोग के खिलाफ दायर की गई थी।

फैसला: अपील खारिज
16 जनवरी को सुनाए गए फैसले में, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभू बखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले से सहमति जताई। इस फैसले के अनुसार, चुनाव आयोग के पास AIMIM की मान्यता रद्द करने का अधिकार नहीं है।

क्या थी याचिका?
तिरुपति नरसिम्हा मुरारी नामक याचिकाकर्ता ने AIMIM की मान्यता रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया था कि पार्टी का संविधान केवल एक धार्मिक समुदाय, मुसलमानों, के हितों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह देश के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों और संविधान के तहत राजनीतिक दलों के लिए तय नियमों का उल्लंघन करता है।

अदालत का रुख
अदालत ने कहा कि AIMIM ने अपने संविधान में संशोधन किया है, जो कानूनी प्रावधानों के अनुरूप है। इसलिए, याचिकाकर्ता के तर्क अब लागू नहीं होते।

पीठ ने कहा, “हम पाते हैं कि एकल न्यायाधीश का निष्कर्ष सही है कि RP अधिनियम की धारा 29ए(5) की आवश्यकताओं को पूरा किया गया है। इसलिए AIMIM की मान्यता रद्द करने का कोई आधार नहीं है।”

संविधान के अधिकारों पर जोर
20 नवंबर को एकल न्यायाधीश ने याचिका को “बिना किसी ठोस आधार के” करार देते हुए कहा था कि यह AIMIM के सदस्यों के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप करने के बराबर है। उन्होंने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को राजनीतिक दल बनाने और अपने विचार और मूल्यों के साथ खड़े होने का अधिकार देता है।

निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह साफ कर दिया कि चुनाव आयोग AIMIM की मान्यता रद्द नहीं कर सकता क्योंकि पार्टी का संविधान अब कानून के अनुरूप है। इस फैसले से AIMIM को बड़ी राहत मिली है।

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