
तमिलनाडु में बीजेपी बनाम डीएमके: शिक्षा नीति पर छिड़ी जुबानी जंग
तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई ने मंगलवार को डीएमके सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके के लिए राजनीति बच्चों के भविष्य से ज्यादा अहम है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) को लेकर दोनों पार्टियों के बीच तकरार और तेज हो गई, जब डीएमके की डिप्टी जनरल सेक्रेटरी कनिमोझी ने अन्नामलाई को चुनौती दी कि अगर उन्हें सच में तमिलनाडु के छात्रों की चिंता है, तो वह केंद्र सरकार से शिक्षा के लिए रुकी हुई फंडिंग जारी करवाकर दिखाएं। कनिमोझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि तमिलनाडु बीजेपी की “झूठी जानकारी फैलाने, वित्तीय दबाव बनाने और हिंदी थोपने” की राजनीति कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने आगे लिखा, “थिरु @annamalai_k, दुनिया जानती है कि बीजेपी किस तरह डेटा के साथ खेलती है—डॉ. पराकला प्रभाकर ने अपनी किताब The Crooked Timber of New India में इसे बेनकाब किया है।”
कनिमोझी ने कहा कि बीजेपी हमेशा आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर अपने हिसाब से पेश करती है और ASER डेटा भी मनगढ़ंत है। इसी वजह से डीएमके सरकार खुद एक सर्वे करा रही है, ताकि शिक्षा नीति का असली असर पता चल सके। उन्होंने बताया कि 2025 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी तमिलनाडु की शिक्षा नीति की तारीफ की गई है। राज्य सरकार के इलम थेड़ी कल्वी, एन्नम एझुथुम, और स्कूल ब्रेकफास्ट स्कीम जैसी योजनाओं ने शिक्षा में क्रांति ला दी है। उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों की तुलना करते हुए कहा कि वहां साक्षरता को लेकर संघर्ष हो रहा है, जबकि डीएमके सरकार छात्रों के भविष्य में निवेश कर रही है।
“अगर सच में छात्रों की चिंता है, तो फंड जारी कराएं”
कनिमोझी ने अन्नामलाई पर तंज कसते हुए कहा, “आप दावा करते हैं कि तमिलनाडु के छात्रों की चिंता है, तो फिर आपकी सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत तमिलनाडु को दिए जाने वाले 2,152 करोड़ रुपये क्यों रोक रखे हैं? अगर आपको वाकई परवाह है, तो केंद्र सरकार से कहें कि वह ये पैसे जारी करे, बजाय हमें उपदेश देने के।” उन्होंने केंद्र सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि उसने केंद्रीय विद्यालयों (KV) से जर्मन और अन्य विदेशी भाषाओं को हटा दिया, लेकिन हिंदी और संस्कृत को जबरदस्ती थोपकर छात्रों को वैश्विक अवसरों से वंचित कर दिया। कनिमोझी ने अन्नामलाई से पूछा, “अगर आप सच में तीन-भाषा नीति के हिमायती हैं, तो बताइए कि कितने केंद्रीय विद्यालयों में तमिल पढ़ाई जाती है? क्या आपको पता है कि तमिलनाडु के कई KVs में तमिल पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं?”
अन्नामलाई का पलटवार
इस पर अन्नामलाई ने भी X पर लंबा जवाब दिया। उन्होंने कनिमोझी को संबोधित करते हुए लिखा, “अनबू अक्का” (प्रिय बहन) @KanimozhiDMK, अगर केंद्र सरकार का डेटा तमिलनाडु सरकार की आलोचना करता है, तो आप उसे पक्षपाती बता देते हैं, लेकिन अगर यही डेटा सरकार की तारीफ करे, तो आप उसे अखबारों के पहले पन्ने पर छापते हैं।” उन्होंने कहा कि डीएमके सरकार चाहती है कि सिर्फ वही तथ्यों को परिभाषित करे, लेकिन सच्चाई यह है कि चाहे वह सरकार अपने सर्वेक्षण करवा ले, नतीजे यही बताएंगे कि डीएमके शासन में शिक्षा व्यवस्था लगातार गिरती जा रही है।
अन्नामलाई ने दावा किया कि डीएमके सरकार जो योजनाएं चला रही है, वे असल में पहले से ही NEP 2020 / समग्र शिक्षा अभियान का हिस्सा थीं। उन्होंने कहा कि कनिमोझी को बतौर सांसद यह पता होना चाहिए कि जिन योजनाओं को तमिलनाडु में नया नाम देकर पेश किया गया, वे पहले से ही दूसरे राज्यों में लागू की जा चुकी थीं। उन्होंने डीएमके पर तंज कसते हुए पूछा, “क्या बीजेपी ने डीएमके सरकार को मजबूर किया था कि वे केंद्र को पत्र लिखकर PM SHRI योजना को लागू करने की मंजूरी दें?” bअन्नामलाई ने कहा कि PM SHRI योजना समग्र शिक्षा अभियान के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल करती है, बावजूद इसके डीएमके सरकार के नेता मीडिया के सामने झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने आगे लिखा, “आपके भाई और भतीजे इस सवाल का जवाब देने से बचते रहे हैं, क्या आप इसका जवाब देंगी?”
“CBSE और प्राइवेट स्कूलों में तीसरी भाषा, लेकिन सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं?”
अन्नामलाई ने यह भी सवाल उठाया कि जब CBSE और मैट्रिकुलेशन स्कूलों (जिसमें डीएमके नेताओं के परिवार द्वारा संचालित स्कूल भी शामिल हैं) में छात्रों को तीसरी भाषा सीखने का अवसर दिया जाता है, तो तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में यह सुविधा क्यों नहीं है? इस तरह बीजेपी और डीएमके के बीच शिक्षा नीति को लेकर एक बार फिर से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।