भारत ने पकिस्तान से मांगे मुंबई हमलों के गुनहगार, कहा – अब सिर्फ बातें नहीं, एक्शन चाहिए

भारत का पाकिस्तान को कड़ा संदेश: आतंकवादियों को सौंपो या फिर
यह लेख भारत के राजदूत द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार पर आधारित है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आह्वान किया है।
पाकिस्तान को आतंकवादियों को सौंपना होगा
भारत ने पाकिस्तान से मुंबई हमलों के आरोपियों, जैसे हाफिज सईद, साजिद मीर और ज़कीउर रहमान लखवी को भारत को सौंपने की मांग की है। यह मांग अमेरिका द्वारा ताहव्वुर हुसैन राणा को सौंपने के फैसले के संदर्भ में की गई है। राजदूत ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद अब एक वैश्विक समस्या बन चुकी है और इससे निपटने के लिए सभी देशों को एक साथ मिलकर काम करना होगा। यह मांग सिर्फ़ एक न्यायिक प्रक्रिया से ज़्यादा, एक कूटनीतिक दबाव का प्रतीक है जो भारत पाकिस्तान पर डाल रहा है। यह दिखाता है कि भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है और पाकिस्तान से स्पष्ट अपेक्षाएँ रखता है। यह मांग अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से भी मज़बूत होती है क्योंकि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सहयोग ज़रूरी है।
ऑपरेशन सिंदूर: रुका नहीं, बदला है रूप
राजदूत ने बताया कि भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है, बल्कि इसे रणनीतिक रूप से रोक दिया गया है। यह ऑपरेशन पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों और उनके ठिकानों के खिलाफ था। पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया। यह ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सिर्फ़ प्रतिशोध नहीं था, बल्कि पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश देना भी था कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, यह ऑपरेशन भारत की सुरक्षा नीति में बदलाव को भी दर्शाता है, जो अब प्रतिरक्षात्मक रणनीति से आगे बढ़कर आक्रामक रणनीति अपना रही है। इसमें भारत की आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
भारत का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब
भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया। आखिरकार, दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ और संघर्ष विराम हुआ। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि अगर आतंकवाद जारी रहा, तो कार्रवाई भी जारी रहेगी। यह जवाबी कार्रवाई भारत की सैन्य शक्ति और उसके आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। यह दिखाता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। यह घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और उसकी आतंकवाद विरोधी नीति की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा: आतंकवाद के दो चेहरे
भारत ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को भारत पर हुए ज़्यादातर आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। मुंबई हमले का ज़िक्र करते हुए राजदूत ने कहा कि इस हमले के आरोपी आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान से इन आतंकवादियों को भारत को सौंपने की मांग की है। यह बात पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर करती है, जो एक तरफ शांति की बात करता है और दूसरी तरफ आतंकवादियों को शरण देता है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास की कमी को दर्शाता है और दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों के लिए आतंकवाद के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई ज़रूरी है।
सिंधु जल संधि: पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते
पाकिस्तान के सिंधु जल समझौते को तोड़ने के प्रयास पर प्रतिक्रिया देते हुए, राजदूत ने कहा कि पाकिस्तान ने इस समझौते की भावना का कभी पालन नहीं किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बयान का हवाला दिया –



