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जिला अध्यक्षों को मजबूत करने की पहल, 2009 के बाद पहली बार कांग्रेस बुलाएगी सम्मेलन

15 साल बाद कांग्रेस फिर करेगी जिला अध्यक्षों का राष्ट्रीय सम्मेलन, पार्टी में बड़े बदलाव की तैयारी

लगभग 15 साल बाद, कांग्रेस अपने जिला अध्यक्षों का राष्ट्रीय सम्मेलन राजधानी में आयोजित करने की योजना बना रही है। यह सम्मेलन पार्टी में संभावित संगठनात्मक और संरचनात्मक बदलावों से पहले हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व जिला कांग्रेस समितियों (DCCs) को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि इन्हें पार्टी गतिविधियों का असली केंद्र बनाया जा सके। इस सम्मेलन को पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।

लोकसभा चुनाव से पहले आयोजित हुआ था पिछला सम्मेलन

आखिरी बार ऐसा सम्मेलन 2009 में लोकसभा चुनाव से पहले हुआ था, जिसमें ब्लॉक अध्यक्ष भी शामिल हुए थे। इस बार योजना थी कि यह आयोजन 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाले AICC सत्र से पहले हो, लेकिन समय की कमी और कई जिलों में लंबित पुनर्गठन के कारण इसके शेड्यूल पर दोबारा विचार किया जा रहा है। कई राज्यों, जैसे कि केरल और कर्नाटक में जिला कांग्रेस समितियों का पुनर्गठन करने और नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की योजना है। वहीं, हरियाणा जैसे राज्यों में पिछले एक दशक से जिला और ब्लॉक समितियां अस्तित्व में नहीं हैं।

जिला इकाइयों को फिर से मजबूत करने की योजना

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि पिछली बार जब जिला और ब्लॉक अध्यक्षों का सम्मेलन हुआ था, तो इससे जमीनी स्तर के नेताओं को जबरदस्त प्रेरणा मिली थी, जिसका नतीजा यह रहा कि यूपीए सरकार दोबारा सत्ता में लौटी थी। हाल ही में बेलगावी में हुई कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक और महासचिवों व राज्यों के प्रभारी नेताओं की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जिला इकाइयों को फिर से पार्टी का मजबूत आधार बनाया जाएगा, जैसा कि 1950-60 के दशक में हुआ करता था। इन बैठकों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की संरचना को विकेंद्रीकृत करने की जरूरत पर जोर दिया था।

दिल्ली-केंद्रित फैसलों से पार्टी को नुकसान?

सूत्रों के अनुसार, 1967 तक जिला समितियों की भूमिका पार्टी में बेहद अहम होती थी। उस समय, DCCs द्वारा सुझाए गए उम्मीदवारों को केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) बिना किसी बदलाव के मंजूरी देती थी। अब पार्टी नेतृत्व चाहता है कि जिला समितियां फिर से वही ताकत और पहचान हासिल करें। मौजूदा राजनीतिक हालात में, कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि दिल्ली-केंद्रित निर्णय लेने की प्रक्रिया बीजेपी के खिलाफ प्रभावी नहीं हो रही है। इसलिए, पार्टी को विकेंद्रीकृत करना और जमीनी स्तर पर भागीदारी बढ़ाना जरूरी है। इस रणनीति को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया और उन्हें संगठन में अधिक जिम्मेदारी देने जैसे मुद्दों पर काम करेगी।

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