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क्या रिटायर्ड अफसरों की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है? YSRCP का चंद्रबाबू नायडू पर बड़ा आरोप

शराब घोटाला: बदला या इंसाफ़?

आंध्र प्रदेश में 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले ने राजनीति में तूफ़ान ला दिया है। दो रिटायर्ड अधिकारियों की गिरफ़्तारी के बाद, सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। YSRCP का कहना है कि ये राजनीतिक बदले की कार्रवाई है, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी इसे कानून का राज बता रही है।

YSRCP का आरोप: राजनीतिक बदला?

YSRCP का दावा है कि गिरफ़्तारियों में कोई ठोस सबूत नहीं है। उनका मानना है कि ये सिर्फ़ विपक्षी पार्टी को दबाने की कोशिश है। YSRCP नेताओं का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से राज्य के प्रशासनिक तंत्र का मनोबल गिरेगा और निष्पक्षता प्रभावित होगी। वे इसे लोकतंत्र पर हमला मानते हैं।

विपक्ष का पक्ष: लोकतंत्र पर हमला?

विपक्ष का कहना है कि ये कार्रवाई लोकतंत्र के लिए ख़तरा है और सत्ताधारी दल विरोधियों को डराने की कोशिश कर रही है। उनका मानना है कि रिटायर्ड अधिकारियों को निशाना बनाना अनुचित है और भविष्य में प्रशासनिक अधिकारियों के काम करने के तरीके को भी प्रभावित करेगा। विपक्ष सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है।

चिंता का विषय: सबूतों का अभाव?

YSRCP नेताओं का कहना है कि घोटाले में अब तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है, फिर भी अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। वे इसे खतरनाक रुझान मानते हैं। पार्टी का आरोप है कि यह सब एक सोची-समझी राजनीतिक साज़िश का हिस्सा है।

IAS और IPS अधिकारियों पर प्रभाव?

YSRCP नेता श्रीकांत रेड्डी का कहना है कि अब वर्तमान में सेवा में चल रहे IAS और IPS अधिकारियों को भी परेशान किया जा रहा है। उनका मानना है कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो अफसरों का सिस्टम में विश्वास कमजोर होगा। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह इस तरह की राजनीति से ऊपर उठकर काम करे।

पूर्व मंत्री का आरोप: राजनीतिक प्रतिशोध?

पूर्व मंत्री मेरुगु नागराजू ने भी इन गिरफ्तारियों की आलोचना की है और कहा है कि यह पूरी तरह से राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। उनका मानना है कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही इस तरह की कार्रवाइयाँ शुरू हो जाना लोकतंत्र के लिए खतरा है।

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