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ISRO को चंद्रयान-5 की मंजूरी, भारत का अंतरिक्ष में एक और बड़ा कदम

चंद्रयान-5: एक बार फिर चांद पर तिरंगा लहराने की तैयारी, ISRO को मिली मंजूरी

भारत एक बार फिर चांद की सतह पर कदम रखने के लिए तैयार है! भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-5 मिशन को हरी झंडी मिल गई है। इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने खुद इस बात की पुष्टि की है। तमिलनाडु के नागरकोइल में वैज्ञानिक डॉ. जयशेखर की जन्म शताब्दी समारोह के दौरान इसरो प्रमुख ने इस बड़ी घोषणा को साझा किया। उन्होंने इसरो की हालिया उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते हुए बताया कि चंद्रयान-5 मिशन जापान के सहयोग से किया जाएगा।

चंद्रयान-5: चांद पर भेजा जाएगा 250 किलो का रोवर

इसरो प्रमुख ने जानकारी दी कि चंद्रयान-5 मिशन में भारत लैंडर विकसित करेगा, जबकि जापान की मदद से रोवर तैयार किया जाएगा। यह रोवर चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए भेजा जाएगा और इसका वजन 250 किलोग्राम होगा, जो चंद्रयान-3 के 25 किलो वाले ‘प्रज्ञान’ रोवर से काफी बड़ा होगा। नारायणन ने बताया, “हमें इस मिशन की मंजूरी हाल ही में मिली है। यह प्रोजेक्ट जापान के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा और यह भविष्य में चंद्रमा पर इंसानी मौजूदगी की दिशा में एक अहम कदम होगा।”

चंद्रयान-5: चांद पर भारत का रोबोट

इस मिशन में चांद की सतह पर इंसानों की तरह दिखने वाले रोबोट नहीं, बल्कि खास वैज्ञानिक उपकरणों से लैस रोबोट भेजे जाएंगे। ये चंद्रमा के भूगर्भीय रहस्यों की गहराई से पड़ताल करेंगे और भविष्य में वहां मानव बस्तियां बसाने के लिए जरूरी जानकारी जुटाएंगे।

भारत की अंतरिक्ष में उपलब्धियां: मंगलयान से स्पेस स्टेशन तक

इसरो प्रमुख ने मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) की ऐतिहासिक सफलता को भी याद किया। उन्होंने बताया कि भारत पहला देश बना जिसने सिर्फ 294 दिनों में 680 मिलियन किलोमीटर की यात्रा करके मंगल की कक्षा में प्रवेश किया। इसके अलावा, महेंद्रगिरि में एक अत्याधुनिक रॉकेट उत्पादन केंद्र भी तैयार किया जा रहा है, जिससे भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशन और भी उन्नत होंगे।

चंद्रयान मिशन की अब तक की यात्रा

  • चंद्रयान-1 (2008): चंद्रमा की रासायनिक, खनिज और भूवैज्ञानिक संरचना का अध्ययन किया।
  • चंद्रयान-2 (2019): 98% सफलता हासिल की, हालांकि अंतिम चरण में थोड़ी चूक हो गई थी।
  • चंद्रयान-3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला मिशन बना, जिससे भारत को वैश्विक पहचान मिली।
  • अब चंद्रयान-5: यह मिशन चांद पर भारत की नई छलांग साबित होगा।

भारत का अंतरिक्ष सफर: 1979 से अब तक

इसरो प्रमुख नारायणन ने भारत के अंतरिक्ष सफर की कहानी भी साझा की। उन्होंने बताया कि 1979 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में पहला उपग्रह प्रक्षेपण हुआ था। वहीं, जनवरी 2024 में भारत ने अपना 100वां अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो देश के लिए ऐतिहासिक क्षण था। उन्होंने कहा, “भारत अब सिर्फ चंद्रमा और मंगल पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में मानव मिशन और स्पेस स्टेशन की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।”

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की नई छलांग!

भारत अंतरिक्ष में एक और बड़ा कदम उठाने के लिए तैयार है। चंद्रयान-5 मिशन न केवल वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को दुनिया के अग्रणी अंतरिक्ष महाशक्तियों में शामिल करेगा।

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