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जम्मू-कश्मीर में जमीन नीति में बड़ा बदलाव, उमर अब्दुल्ला फिर लाएंगे रोशनी एक्ट

जम्मू-कश्मीर में फिर लौटेगा रोशनी एक्ट! मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में किया बड़ा ऐलान

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को विधानसभा में ऐलान किया कि विवादित “रोशनी एक्ट” को एक नए रूप में फिर से लाया जाएगा। यह वही कानून है जिसे पिछली सरकार ने खत्म कर दिया था और हाई कोर्ट ने इसके तहत हुई सभी आवंटनों को “अमान्य” करार दिया था।

क्या है रोशनी एक्ट?

रोशनी एक्ट को पहली बार 2001 में उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने लागू किया था। इसका मकसद जम्मू-कश्मीर में सरकारी जमीन पर काबिज लोगों को मालिकाना हक देना था, ताकि इससे होने वाली कमाई से राज्य में बिजली परियोजनाओं के लिए फंड जुटाया जा सके। इस कानून के तहत कब्जेदारों को सरकार को एक निश्चित रकम चुकानी होती थी। पहले इसके लिए 1990 तक की समयसीमा रखी गई थी, जिसे बाद में 2004 और फिर 2007 तक बढ़ा दिया गया।

क्यों हुआ विवाद और बंद हुआ कानून?

2014 में कैग (CAG) रिपोर्ट ने खुलासा किया कि 2007 से 2013 के बीच केवल 76 करोड़ रुपये ही सरकारी खजाने में पहुंचे, जबकि सरकार ने इस योजना के तहत 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। इसके बाद इस कानून पर भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और पक्षपात के आरोप लगे। 2018 में तत्कालीन गवर्नर ने इसे रद्द कर दिया और CBI जांच के आदेश दिए। फिर 2020 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने इसे “असंवैधानिक” घोषित कर दिया और सभी आवंटनों को रद्द कर दिया।

सरकारी जमीन की वापसी का अभियान

जनवरी 2023 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 1.25 लाख एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करने की कार्रवाई शुरू की। इसमें चारागाह और राज्य की अन्य सरकारी जमीनें शामिल थीं। हालांकि, एक महीने बाद केंद्र सरकार ने दखल दिया और प्रशासन को निर्देश दिया कि किसी भी कार्रवाई से पहले लोगों को नोटिस दिया जाए और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए।

फिर से लौटेगा रोशनी एक्ट?

गुरुवार को विधानसभा में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस कानून की मूल भावना अच्छी थी, लेकिन बाद में बदलाव के कारण इसे अदालत में चुनौती दी गई। उन्होंने बताया कि इसकी मूल योजना लीज पर दी गई जमीनों को मालिकाना हक में बदलने की थी, लेकिन बाद में PDP-कांग्रेस सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया, जिससे मामला बिगड़ गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इसे एक नए रूप में लाया जाएगा, ताकि अवैध कब्जों को सही तरीके से निपटाया जा सके और भूमि सुधारों को आगे बढ़ाया जा सके।

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