
सुभाष चंद्र बोस जयंती: आज 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती है। पूरा देश इस महान स्वतंत्रता सेनानी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। हर साल उनकी जयंती को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नेताजी को नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत की आज़ादी के संग्राम में उनका योगदान बेमिसाल है। वे साहस और दृढ़ता की मिसाल थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता रहता है, क्योंकि हम उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में कार्यरत हैं।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वे सुबह करीब 11:25 बजे पराक्रम दिवस कार्यक्रम में अपने विचार साझा करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह दिन आने वाली पीढ़ियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह साहस और चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देगा।
नेताजी की विरासत और उनका संघर्ष
सुभाष चंद्र बोस न केवल अपने राजनीतिक नेतृत्व के लिए बल्कि एक स्वतंत्र और संगठित भारत के निर्माण के अपने दृष्टिकोण के लिए भी याद किए जाते हैं। उनके क्रांतिकारी विचारों और अटूट साहस ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का नेतृत्व सौंपा। INA ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई। नेताजी ने अपने प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” के जरिए पूरे देश को जागरूक और प्रेरित किया। वे मानते थे कि स्वतंत्रता केवल सशस्त्र संघर्ष से ही संभव है। हालांकि, उनका जीवन हमेशा रहस्यों और विवादों से घिरा रहा। 1945 में उनके अचानक लापता होने के बाद से आज भी उनके जीवन और मृत्यु को लेकर बहस जारी है।
नेताजी के विचारों की प्रेरणा
नेताजी ने न केवल ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त कराने की कोशिश की, बल्कि देश को भीतर से भी मजबूत और एकजुट करने का प्रयास किया। उनका अटूट समर्पण और बलिदान आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बना हुआ है। उनके योगदान, विचारों और संघर्ष को समझने के लिए उनके जीवन से जुड़ी 13 महत्वपूर्ण बातें जानी जा सकती हैं, जो उनकी छोड़ी गई अमूल्य विरासत को उजागर करती हैं।