
मणिपुर में सियासी संकट गहराया, बीजेपी नेता संबित पात्रा ने राज्यपाल से की मुलाकात
मणिपुर में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, बीजेपी के वरिष्ठ नेता संबित पात्रा ने बुधवार सुबह राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से राजभवन में मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, दोनों के बीच कुछ देर बातचीत हुई, लेकिन बैठक का नतीजा अभी सामने नहीं आया है। बीजेपी के नॉर्थ-ईस्ट प्रभारी पात्रा इसके बाद एक होटल पहुंचे, जहां उनके दिनभर पार्टी के विधायकों से मिलने की संभावना है। इससे पहले, मंगलवार को पात्रा के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन में राज्यपाल से मिला था। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई, जब मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और राज्य में नेतृत्व संकट बना हुआ है।
मणिपुर में संवैधानिक संकट की आशंका
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल किसी भी दल ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है, जिससे मणिपुर में संवैधानिक संकट गहराने की आशंका है। अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लागू हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अरूणाभ चौधरी के मुताबिक, “मणिपुर विधानसभा अभी भंग नहीं हुई है और न ही राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार विधानसभा सत्र का आयोजन अनिवार्य है, नहीं तो यह एक बड़े संवैधानिक संकट को जन्म देगा।” संविधान के अनुच्छेद 174 के तहत, राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाना अनिवार्य है और दो सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का अंतर हो सकता है। इस अवधि से अधिक समय तक सत्र न बुलाया गया तो संवैधानिक गतिरोध उत्पन्न हो जाएगा और अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प बचेगा।
मणिपुर में राजनीतिक संकट की वजह
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, उन्होंने नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति तक बीरेन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने का अनुरोध किया है। इस बीच, राज्यपाल ने 12वीं मणिपुर विधानसभा के सातवें सत्र, जो 10 फरवरी से शुरू होने वाला था, को निरस्त कर दिया। इससे पहले, मणिपुर में विधानसभा का आखिरी सत्र 12 अगस्त 2024 को आयोजित हुआ था।
जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर
मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इंफाल घाटी में बसे मैतेई समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में रहने वाले कुकी-जो जनजातीय समुदाय के बीच टकराव अब भी जारी है। राजनीतिक अस्थिरता और जातीय संघर्ष के चलते मणिपुर के हालात गंभीर बने हुए हैं और अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा और क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होगा।