
मंगलवार को एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने कांग्रेस को सलाह दी कि वो संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करने से पहले AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) की बैठक बुलाकर पहलगाम आतंकी हमले पर अपना रुख साफ करे। शिवसेना संसदीय दल के नेता डॉ. श्रीकांत शिंदे ने कहा, “कांग्रेस पार्टी को सबसे पहले अपने घर की हालत दुरुस्त करनी चाहिए। संसद का विशेष सत्र बुलाने की बात करने से पहले पार्टी को तुरंत AICC की बैठक बुलाकर ये साफ करना चाहिए कि उनके वरिष्ठ नेताओं के उन बयानों पर पार्टी की क्या सोच है, जिनमें पहलगाम आतंकी हमले के शिकार लोगों का मज़ाक उड़ाया गया और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाए गए।”
उन्होंने कहा कि “चाहे वो कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार हों, जिन्होंने हमले में बचे लोगों की बातों पर सवाल खड़े किए, या फिर कर्नाटक के मंत्री आर. बी. थिम्मापुर और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, जिन्होंने हमले में धार्मिक निशानेबाजी की बात को हल्का बना दिया, या पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज, जिन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान की बात मान लेनी चाहिए, और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष तारीक हमीद कर्रा, जिन्होंने आतंक फैलाने वाले देश से बातचीत की सलाह दी – ये सब बयान अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि एक खतरनाक सोच की तरफ इशारा करते हैं।”
डॉ. शिंदे ने आगे कहा, “यहां तक कि रॉबर्ट वाड्रा का ये कहना कि आतंकी भारत में मुसलमानों के साथ हो रहे कथित बुरे बर्ताव का जवाब दे रहे हैं, देश की संवेदनशीलता और नैतिक जिम्मेदारी की हर हद पार कर देता है।” उन्होंने कहा, “ये कोई सामान्य राजनीतिक अपरिपक्वता नहीं है, बल्कि ये देश के दर्द के साथ विश्वासघात है। विधवाओं, अनाथों और बचे लोगों के दुख का मजाक उड़ाना और उसे कमतर दिखाना सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना नहीं, बल्कि अमानवीय है। कांग्रेस पार्टी को देश को जवाब देना चाहिए – क्या वो आतंक के पीड़ितों के साथ खड़ी है या उन लोगों के साथ जो आतंकियों का बचाव कर रहे हैं?” डॉ. शिंदे, जो महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे हैं और ठाणे से सांसद हैं, उन्होंने कहा, “देश को आतंक के खिलाफ एक मज़बूत और एकजुट राजनीतिक जवाब चाहिए – न कि कोई उलझा हुआ, बंटा हुआ और तुष्टिकरण से भरा नजरिया। अगर कांग्रेस इस मामले में साफ नैतिक रुख नहीं ले सकती, तो उसे किसी और से जवाबदेही की मांग करने का हक नहीं है।”