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तमिल और अंग्रेजी की नीति से समझौता नहीं करेगा तमिलनाडु – वित्त मंत्री थेनरासु

तमिलनाडु अपनी दो-भाषा नीति से पीछे नहीं हटेगा, केंद्र से फंड न मिलने पर भी नहीं बदलेगा रुख – वित्त मंत्री थंगम थेनरासु

तमिलनाडु सरकार ने दो-टूक कह दिया है कि वह तमिल और अंग्रेजी की दो-भाषा नीति से पीछे नहीं हटेगा, भले ही इसके लिए केंद्र से मिलने वाले 2,000 करोड़ रुपये के फंड को छोड़ना ही क्यों न पड़े। राज्य के वित्त मंत्री थंगम थेनरासु ने बजट भाषण के दौरान साफ किया कि तमिलनाडु की यह नीति राज्य के हित में है और सरकार इसे सिर्फ केंद्र से पैसे लेने के लिए नहीं बदलेगी। थेनरासु, जो आगामी विधानसभा चुनावों से पहले डीएमके सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश कर रहे थे, उन्होंने कहा कि अगर समग्र शिक्षा योजना (Samagra Shiksha Scheme) के तहत केंद्र सरकार फंड जारी करने से मना करती है, तो राज्य सरकार अपने संसाधनों से ही स्कूलों के विकास और शिक्षकों की सैलरी का खर्च उठाएगी।

तमिलनाडु की दो-भाषा नीति क्यों जरूरी?

अपने भाषण की शुरुआत में थेनरासु ने कहा, “हमारी इस नीति ने तमिल संस्कृति को संरक्षित किया है और हमारे युवाओं को अंग्रेजी में भी दक्ष बनाया है, जिससे वे वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़े हो पाए हैं।” बजट भाषण का पहला हिस्सा तमिल संस्कृति और पहचान पर केंद्रित रहा, जिस पर डीएमके सरकार 2021 से लगातार जोर देती आ रही है। सरकार ने बजट दस्तावेजों में रुपये के प्रतीक (₹) को हटाकर तमिल शब्द “ரூ” (रूबाई) को इस्तेमाल करने का फैसला किया, जिससे विवाद भी खड़ा हो गया।

भाषा विवाद और केंद्र से टकराव

तमिलनाडु में भाषा का मुद्दा बेहद संवेदनशील रहा है और इस पर अब तक तीन बड़े आंदोलन हो चुके हैं। थेनरासु ने कहा कि राज्य सरकार पिछले सात सालों से समग्र शिक्षा योजना के तहत छात्र-कल्याण योजनाएं चला रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक 2,152 करोड़ रुपये रोक रखे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से ही सरकारी स्कूलों के छात्रों की शिक्षा जारी रखेगी, ताकि उनकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े।

तमिलनाडु के लोग सरकार के साथ खड़े हैं

थेनरासु ने कहा, “यह संकट का समय है, लेकिन तमिलनाडु के लोग मुख्यमंत्री के साथ खड़े हैं। वे जानते हैं कि सरकार उनकी भाषा और पहचान को बचाने के लिए दृढ़ है, चाहे इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े।”

केंद्र बनाम तमिलनाडु – टकराव जारी

तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच तीन-भाषा नीति को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है। राज्य 1968 से दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) का पालन कर रहा है और उसे बदलने के पक्ष में नहीं है। थेनरासु का यह बयान तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच बढ़ते तनाव की एक और झलक दिखाता है।

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