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EPIC विवाद: कांग्रेस ने चुनाव आयोग और बीजेपी की साठगांठ पर उठाए सवाल

मतदान कार्ड घोटाले पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, बीजेपी और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का दावा चुनाव पहचान पत्र (EPIC) से जुड़े विवाद पर कांग्रेस ने सोमवार को बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि अब यह साफ हो गया है कि बीजेपी चुनाव जीतने या जीतने की कोशिश करने के लिए मतदाता सूची में हेरफेर करती है और इसमें चुनाव आयोग भी मिला हुआ है। कांग्रेस ने इसे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए “गंभीर खतरा” बताया और कहा कि यह मुद्दा यहीं खत्म नहीं होगा। पार्टी ने कानूनी, राजनीतिक और विधायी स्तर पर इस मामले को उठाने की बात कही। कांग्रेस की ‘इम्पावर्ड एक्शन ग्रुप एंड एक्सपर्ट्स’ (EAGLE) टीम ने दावा किया कि मतदाता सूची में हेरफेर में चुनाव आयोग की मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं, जहां एक ही मतदाता पहचान संख्या (EPIC) का इस्तेमाल एक ही राज्य की अलग-अलग सीटों पर और यहां तक कि अन्य राज्यों में भी किया गया है। रविवार को चुनाव आयोग ने माना कि कुछ राज्यों में EPIC नंबर एक जैसे हो सकते हैं, क्योंकि पहले मतदाता सूची को मैन्युअली संभाला जाता था और इसे ERONET (इलेक्टोरल रोल मैनेजमेंट सिस्टम) में शिफ्ट करने से पहले यह समस्या बनी रही। हालांकि, आयोग ने यह भी कहा कि इससे फर्जी वोटिंग नहीं होगी।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस दावे को पूरी तरह चौंकाने वाला बताया। पार्टी का कहना है कि हर भारतीय मतदाता के पास एक यूनिक वोटर आईडी नंबर होना चाहिए, यही स्वच्छ चुनाव प्रणाली की मूलभूत शर्त है। अगर एक ही नंबर से कई मतदाता जुड़े हैं, तो यह उतना ही अजीब है, जैसे देशभर में एक ही वाहन पंजीकरण संख्या से कई वाहन चल रहे हों। यह किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अस्वीकार्य है। जब चुनाव आयोग से इस बारे में पूछा गया, तो पहले उसने दावा किया कि एक राज्य में एक ही EPIC नंबर हो सकता है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में यह संभव है। मगर जब यह साबित हो गया कि एक ही राज्य और यहां तक कि एक ही निर्वाचन क्षेत्र में भी एक ही नंबर के कई वोटर हैं, तो आयोग ने चुप्पी साध ली। कांग्रेस का कहना है कि भारत में कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से किसी भी राज्य में स्थानांतरित हो सकता है, इसलिए उसका वोटर आईडी नंबर पूरे देश में एक ही रहना चाहिए। ऐसे में चुनाव आयोग इस मुद्दे पर अनभिज्ञता या अक्षमता का बहाना नहीं बना सकता। पार्टी ने इस पूरे मामले को “सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर की गई गड़बड़ी” बताया। कांग्रेस ने कहा कि अब यह राज़ खुल चुका है कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए मतदाता सूची में गड़बड़ी करती है और इसमें चुनाव आयोग का भी सहयोग रहता है।

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया इतनी अहम थी कि मोदी सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी कमजोर कर दिया और निष्पक्ष समिति की जगह अपनी पसंद से नियुक्ति का रास्ता तैयार किया। पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में भारी गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच पांच महीनों में मतदाता संख्या में 40 लाख की वृद्धि हुई। कुछ क्षेत्रों में हजारों नए मतदाता सिर्फ एक ही इमारत से जोड़े गए या अन्य राज्यों से लाकर जोड़े गए। आश्चर्यजनक रूप से, इनमें से अधिकतर वोट बीजेपी गठबंधन के पक्ष में गए, जिससे चुनाव का परिणाम उनके पक्ष में झुक गया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी संसद में इस मुद्दे को उठाया और महाराष्ट्र में गठबंधन दलों के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग की यह चुप्पी केवल इस बात को और मजबूत करती है कि मतदाता सूची में हेरफेर में उसकी भूमिका संदिग्ध है। इस मुद्दे पर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी 27 फरवरी को इसी तरह की शिकायत की थी।

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